Tuesday, February 1, 2011

गरीबी का चेहरा

कोई साठ- बासठ बरस
पहले लगा था
कि दूर होगी गरीबी !

चेहरों पर होगी रौनक
आएगी खुशहाली

लेकिन इन साठ-बासठ बरसों में
सिर्फ चंद बोर्ड ही पहुंच पाए
हम तक

दूर तलक  बस उदासी है
देखो ऐसा ही होता है

गरीबी का चेहरा।


- राकेश मालवीय, सतना से लोटकर
(छाया ओर कविता)

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